टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली ने अपने करियर का एक लंबा सफ़र तय कर लिया है. मौजूदा समय में विराट कोहली तीनों फॉर्मेट के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में से एक हैं. अच्छा से अच्छा गेंदबाज उनके सामने गेंदबाजी करने से कतराता है. कोहली ने अपने बल्लेबाजी से विश्व क्रिकेट को एक अलग स्तर पर पहुंचाया है.
विराट की इस सफलता के पीछे उनकी फिटनेस का बहुत बड़ा हाथ देखने को मिला. भारतीय कप्तान दुनिया के सबसे फिट एथलीट माने जाते हैं. उनकी फिटनेस का असर ना सिर्फ उनकी बल्लेबाजी पर बल्कि टीम इंडिया के परिणामों पर भी बखूबी देखने को मिलता हैं.
मैदान पर कोहली हमेशा अपना 120 प्रतिशत देते नजर आते हैं और अपने साथी खिलाड़ियों से भी यही उम्मीद रखते है. आज भले ही विराट विश्व के सबसे फिट खिलाड़ियों में शुमार हो, लेकिन एक समय ऐसा बिल्कुल नहीं था. दरअसल, अपने करियर के शुरूआती दौर में उनकी फिटनेस फिलहाल जैसी नहीं थी.
साल 2012 में खेले गये आईपीएल सत्र के बाद विराट कोहली ने अपनी फिटनेस पर काम करना शुरू किया. 2012 आईपीएल के बाद विराट ने यह महसूस किया कि अगर उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफल होना है तो इसके लिए फिटनेस पर काम करना पड़ेगा. विराट ने तब अपनी फिटनेस पर काम करने का फैसला किया और उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा.
भारतीय कप्तान ने टीम इंडिया के पूर्व फिटनेस ट्रेनर शंकर बासु के साथ जिम में काफी समय बिताया और अपनी डाइट में भी काफी बदलाव किये. विराट ने खुद यह बात स्वीकारी थी कि वह बहुत अस्वास्थ्य भोजन करते थे. बीसीसीआई टीवी पर मयंक अगरवाल से बात करते हुए विराट कोहली ने कहा,
”आइपीएल 2012 सीजन के बाद मैं खुद को देखकर निराश था और फिर मैंने फैसला किया कि मैं जिस तरह से ट्रेनिंग कर रहे हैं उसमें बदलाव करूंगा.’’ उन्होंने आगे कहा, दुनिया की सभी टीमें बदल रही थी खास तौर पर ट्रेनिंग को लेकर जबकि टीम इंडिया फिटनेस को लेकर उनसे काफी फीछे थी जो बात उन्हें परेशान करती थी.
विराट ने कहा कि ‘’आइपीएल 2012 के प्रदर्शन ने मुझे निराश किया और मैंने अपनी फिटनेस पर ध्यान देना शुरू किया. उस वक्त मेरे सामने जो आता था खा लेता था. हम ज्यादातर आइटीसी गार्डेनिया में रुकते थे जहां मेरे पास टॉफी का पैकेट होता था जिसमें 40 टॉफियां होती थी और मैं इसे 4-5 दिन में खा लेता था. उस वक्त वही मेरा डायट हुआ करता था.’’ उन्होंने कहा कि ‘’मैं उस वक्त पागल इंसान की तरह सोता था क्योंकि उस समय मुझे सफलता मिली थी और सबकुछ अच्छा हो रहा था और मैं आइपीएल भी खेलने लगा था. हालांकि 2012 सीजन में किए प्रदर्शन की वजह से मुझे अहसास हुआ का मुझे बदलने की जरूरत है. मैं घर वापस गया और मुझे महसूस हुआ कि जिस तरह से मैं तैयारी कर रहा हूं उसे बदलने की जरूरत है. इसके बाद मैंने अगले ही दिन से सबकुछ बदल दिया.’’
Written by: अखिल गुप्ता
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