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कई बार ऐसा होता है जब स्ट्राइक रेट मायने नहीं रखता : चेतेश्वर पुजारा

भारतीय टेस्ट क्रिकेट टीम के दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा का ऐसा कहना है कि टेस्ट क्रिकेट में कई बार ऐसी परिस्तिथियां सामने आती है, जब बल्लेबाज का स्ट्राइक रेट मायने नहीं रखता. आप सभी की जानकारी के लिए बता दे कि, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हाल में ही खेली गई बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के दौरान कई बार पुजारा के स्ट्राइक रेट पर कई बार सवाल उठे थे. एडिलेड में खेले गए पहले मुकाबले में चेतेश्वर ने पहली पारी के दौरान 26.88 के स्ट्राइक रेट 46 रन बनाए थे.

हालांकि ये बात भी एकदम सच है कि, चेतेश्वर पुजारा अगर सिडनी और ब्रिस्बेन टेस्ट के दौरान ऑस्ट्रेलिया गेंदबाजों का डटकर सामना ना करते तो टीम इंडिया को शायद हार का सामना भी करना पड़ सकता था. सिडनी टेस्ट को ड्रॉ कराने में पुजारा का एक बड़ा हाथ रहा था. उन्होंने पहली पारी में 176 गेंदों में 50 और दूसरी पारी में 205 गेंदों के भीतर 77 रनों की पारी खेली थी.

वहीँ गाबा टेस्ट में पुजारा ने दूसरी पारी में अपने शरीर पर कई सारी गेंदे खाते हुए 211 गेंदों पर 56 रन बनाए थे. वैसे ये कोई पहला मौका नहीं रहा, जब उनके स्ट्राइक रेट पर सवालियां निशान उठे हो. इससे पहले कई बार पुजारा का स्ट्राइक रेट सवालों के घेरे में आ चुका हैं.

पीटीआई से खास बातचीत के दौरान अनुभवी खिलाड़ी ने कहा, ”कई बार ऐसा समय आता है जबकि स्ट्राइक रेट मायने नहीं रखता. प्रत्येक बल्लेबाज की अपनी भूमिका होती है. टीम प्रबंधन इसे अच्छी तरह से समझता है. चाहे वह रवि (शास्त्री, मुख्य कोच) भाई हो या विक्की (विक्रम राठौड़, बल्लेबाजी कोच) भाई या अजिंक्य (रहाणे), उन्होंने मुझसे उसी तरह से बल्लेबाजी करने के लिये कहा जैसी मैं करता हूं.”

पुजारा ने आगे कहा, ”यहां तक कि परिस्थितियों के अनुसार मेरी बल्लेबाजी भी बदल जाती है. जब पिच बल्लेबाजी के लिए अनुकूल हो तो मैं स्ट्राइक रोटेट करूंगा. आप एक ही तरह से बल्लेबाजी नहीं कर सकते. यह अच्छा है कि दूसरे छोर पर रोहित और ऋषभ जैसे स्ट्रोक प्लेयर थे और ऐसे में मुझे उसी तरह से बल्लेबाजी करने की जरूरत थी जैसी मैं करता हूं.”

पुजारा हमेशा से ही धीमी बल्लेबाजी के लिए मशहूर रहे हैं, लेकिन ये बात भी किसी से छिपी नहीं है कि एक बार पिच पर नजरें जमाने के बाद अच्छे से अच्छे गेंदबाज के लिए उनको आउट करना आसान नहीं रहता. ब्रिस्बेन टेस्ट के दौरान भी पुजारा ने एक छोर को संभाले रखा था और दूसरे छोर से ऋषभ पंत को बड़े शॉट खेलने की छुट मिली थी.

बताते चलें कि, ऑस्ट्रेलिया रवाने होने से पहले पुजारा को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला था क्योंकि कोविड-19 के चलते क्रिकेट पूरी तरह से बंद था और आईपीएल में वो किसी भी टीम का हिस्सा नहीं थे. उसके बाद भी पुजारा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों में लगभग 34 की औसत के साथ 271 रन बनाए.

अब चेतेश्वर पुजारा बहुत ही जल्द इंग्लैंड के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की घरेलू सीरीज में अपनी बल्लेबाजी का जौहर बिखरते नजर आएंगे.

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