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जब एमएस धोनी टीम इंडिया में आए थे, तो उनकी विकेटकीपिंग नहीं थी उतनी अच्छी : सबा करीम

भारत के पूर्व दिग्गज विकेटकीपर-बल्लेबाज महेंद्र सिंह धोनी ने विकेटकीपिंग का एक अलग ही पैरामीटर सेट किया. हर किसी के मन में धोनी की विकेटकीपिंग की तस्वीरें कुछ इस कदर छपि हुई हैं, जब वह किसी नए या युवा विकेटकीपर को देखता है तो खुद ब खुद धोनी की चर्चा होने लगती है.

भारत के पूर्व विकेटकीपर सबा करीम ने कहा है कि एमएस धोनी की विकेटकीपिंग में सुधार कप्तान सौरव गांगुली के नेतृत्व में ही आया था. जब वह भारतीय क्रिकेट में आए थे, तो उन्होंने पहले बल्ले की चमक दिखाई थी.

बिजली की तेज रफ्तार से स्टंपिंग करने वाले धोनी ने भले ही संन्यास ले लिया हो, मगर आज भी विकेटकीपरों को उनके पैरामीटर से ही नापा जाता है.

सबा करीब का मानना है कि पंत को अपने विकेट कीपिंग स्किल में सुधार करने की जरूरत है और उन्हें अनुभव के साथ बेहतर होने की उम्मीद है. बाएं हाथ का बल्लेबाज अपने बल्लेबाजी कौशल के साथ एक एक्स-फैक्टर लाता है और वह ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर टीम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आए.

सबा करीम ने एक इंटरव्यू में कहा कि, ” हम ऋषभ पंत की विकेटकीपिंग को लेकर कभी कभी काफी कठोर बन जाते हैं. क्रिकेट की ये कला आत्मविश्वास से निखरती है, जो कि धीरे-धीरे ही बढ़ता है. अच्छी बात ये है कि पंत की बैटिंग बहुत अच्छी है, जो उनके विकेटकीपिंग के विकास में भी मदद करेगी. ”
पूर्व भारतीय विकेटकीपर ने कहा कि पंत की कीपिंग स्किल्स भी वैसे ही निखरेगी जैसे धोनी की चमकी थी. धोनी ने टीम इंडिया के लिए अपना पहला मैच 2004 में खेला था, मगर 2005 में श्रीलंका के खिलाफ उनके बल्ले से आई 183 रनों की आतिशी पारी ने उनको अलग पहचान दी और वहां से शुरु हुआ धोनी से द धोनी बनने का सफर.

”एमएस धोनी ने भी इंटरनेशनल क्रिकेट में पहले बल्ले से चमक बिखेरी थी. जबकि, उनकी विकेट कीपिंग में सुधार हो रहा था. जब उन्होंने एक बल्लेबाज के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया, उनकी कीपिंग भी वर्ल्ड क्लास हो गई. धोनी एक विकेटकीपर बल्लेबाज के तौर पर टीम इंडिया में आए थे. लेकिन कीपिंग में उनकी काबिलियत तब बेहतर नहीं थी. ये उनकी बल्लेबाजी ही थी जिसने उन्हें बतौर विकेटकीपर भी चमकने में मदद की.”

ऋषभ पंत ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर तीन मैचों में 68.50 के औसत से 274 रन बनाए और दौरे पर सबसे अधिक रन बनाने वाले भारतीय खिलाड़ी रहे. सबा करीब ने निष्कर्ष निकाला कि जिस तरह धोनी ने पहले बल्ले से और फिर विकेटकीपिंग क्षमता का लोहा मनवाया था, वैसे ही पंत भी करते नजर आएंगे.

”अगर आप शानदार बैटिंग करते हो तो इससे आपके विकेटकीपिंग में मदद मिलेगी. ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. आने वाले दिनों में हम ऋषभ पंत के साथ भी ऐसा होते देखेंगे. ”

ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अपने बल्ले से जीत दिलाने वाले ऋषभ पंत को अक्सर अपनी विकेटकीपिंग के लिए ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता रहा है, मगर ऑस्ट्रेलिया में उनकी बल्लेबाजी ने मानो उनके सारे गुनाह माफ कर दिए हैं. हालांकि अभी भी पंत को अपनी विकेटकीपिंग स्किल में सुधार की जरूरत नजर आती है.

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