सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट इतिहास के सर्वश्रेष्ठ कप्तानो में से एक रहे हैं। सौरव गांगुली की अगुवाई में टीम इंडिया ने विदेशी सरजमीं पर कैसे मुकाबलें जीते जाए यह सीखा। गांगुली की कप्तानी की सबसे खास बात यह थी कि वह अपने खिलाड़ियों को हमेशा बैक करते थे। युवराज सिंह, हरभजन सिंह, आशीष नेहरा और अन्य कई खिलाड़ियों का करियर बनाने में गांगुली का एक बड़ा हाथ रहा।
बात अगर युवराज सिंह की करे तो युवी ने अपने करियर का आगाज दादा की कप्तानी से की किया था और सौरव गांगुली ने भी अपनी कप्तानी के दौरान उनको बहुत मौके दिए और यह उन मौकों का ही नतीजा रहा कि युवराज इतने बड़े क्रिकेटर बनकर दुनिया के सामने आये।
2011 में वह युवराज ही थे, जिनका देश को 28 सालों के लंबे अन्तराल के बाद देश को वनडे विश्व कप जीताने में एक अहम योगदान रहा। हाल में ही सौरव गांगुली को एक ऑनलाइन लेक्चर में लीडरशीप के बारे में बात करते हुए देखा गया। जहां दादा ने युवराज सिंह का एक उदहारण देते हुए कहा,
‘’एक कप्तान के तौर पर आप ऐसी आशा कतई नहीं कर सकते हैं कि युवराज सिंह जैसा खिलाड़ी राहुल द्रविड़ जैसा बर्ताव करे। युवराज सिंह एक आक्रामक खिलाड़ी के तौर पर जाने जाते थे तो वहीं द्रविड़ बेहद शांत किस्म के खिलाड़ी थे।‘’
बीसीसीआई अध्यक्ष ने आगे कहा ‘’किसी भी बड़े लीडर की सफलता की सबसे बड़ी कुंजी है उनकी अनुकूलनशीलता यानी वो किसी भी माहौल में खुद को एडजस्ट कर ले। एक लीडर को अपने टीम के खिलाड़ियों की प्रतिभा का सही इस्तेमाल करना आना चाहिए। आप युवराज सिंह को राहुल द्रविड़ नहीं बना सकते और राहुल द्रविड़ को युवराज सिंह नहीं बना सकते। एक बेस्ट लीडर हमेशा ही अपनी गलतियों से सीखता है और असफलता उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती। असफल होने पर हताश नहीं होना चाहिए और असफलता से मिली सीख ही आपको सफल बनाएगी।‘’
वाकई में युवराज सिंह को एक आक्रामक बल्लेबाज के रूप में जाना जाता था, जबकि राहुल द्रविड़ बेहद ही शांत किस्म के बल्लेबाज हुए करते थे।
Written By: अखिल गुप्ता