पाकिस्तान के पूर्व तेज गेंदबाज शोएब अख्तर को लगता है कि विराट कोहली की तुलना पूर्व दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर से करना उचित नहीं है. मास्टर-ब्लास्टर एक अलग युग में खेले थे और कई विशेषज्ञों का मानना है कि नियमों, पिचों, परिस्थितियों और गेंदबाजों की क्वालिटी के कारण पिछली पीढ़ी में रन बनाना अधिक मुश्किल था.
मौजूदा खेल बल्लेबाज के पक्ष में थोड़ा झुका हुआ है, लेकिन इसका श्रेय विराट कोहली से नहीं लिया जाना चाहिए, जो खेल के तीनों प्रारूपों में सबसे कंसिस्टेंट बल्लेबाज हैं.
सचिन ने अपने हाल के दिनों में कई रिकॉर्ड्स बनाए और तोड़े जबकि कोहली ने भी इसका अनुसरण किया. सचिन ने टीम में जिम्मेदारी उठाई और तमाम मैच अकेले के दम पर भारत को जिताए.
दूसरी ओर, विराट कोहली वर्तमान पीढ़ी के सबसे कंसिस्टेंट बल्लेबाजों में से एक हैं, खासकर सीमित ओवरों के खेल में. हालांकि सचिन तेंदुलकर के खेलने और कोहली के खेलने के तरीके में काफी अंतर है. सचिन अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते थे जबकि कोहली अपनी आक्रामकता के लिए विश्व भर में मशहूर हैं.
सचिन ने कभी भी मैदान में ज्यादा इमोशन नहीं दिखाया जबकि कोहली मैदान पर काफी एक्सप्रेसिव रहते हैं. कोहली खुस को एक्सप्रेस करना पसंद करते हैं और आक्रामक होते हैं और विपक्षी खिलाड़ियों के साथ बात करने से नहीं कतराते. ऐसे वह अपना सर्वश्रेष्ठ लेकर आते हैं और इसी तरह वह अपना खेल खेलते हैं.
शोएब अख्तर ने स्पोर्ट्सकीड़ा से बात करते हुए कहा, “क्रिकेट पर काफी पाबंदियां हैं. मैदान पर तीन घेरे कैसे हो सकते हैं? मेरे कहने का अर्थ है… सचिन तेंडुलकर को क्रेडिट देना चाहिए और उनकी तुलना विराट कोहली से करना बंद करो. विराट ने सचिन के युग में बल्लेबाजी नहीं की है. 50 ओवर तक खेले. और फिर 10-20 ओवर बाद गेंद रिवर्स स्विंग होने लगी थी. ऐसे में आप वसीम अकरम, वकार यूनिस की रफ्तार और शेन वॉर्न की स्पिन खेलें, यह छोटी बात नहीं है.”
रावलपिंडी एक्सप्रेस शोएब अख्तर ने कहा कि अतीत में एक टीम में हमेशा चार-पांच गेंदबाज होते थे, जो वर्तमान पीढ़ी में ऐसा नहीं है.
“हर टीम के पास विशेषज्ञ थे. लांस क्लूजर, जैक कालिस, शॉन पॉलक, एलन डॉनल्ड, मखाया नतिनी, हर टीम के पास पांच क्वॉलिटी बोलर होते थे. आज आपके पास कितने हैं? अब पैट कमिंस, जोश हेजलवुड और इसके बाद?”