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2011 के फाइनल में भारत के खिलाफ हमने 20 से 30 रन कम बनाये: एंजेलो मैथ्यूज

श्रीलंका क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और ऑलराउंडर एंजेलो मैथ्यूज का ऐसा कहना है कि 2011 के विश्व कप फाइनल में श्रीलंका ने भारत के खिलाफ 20 से 30 रन कम बनाये थे. बता दे, कि विश्व कप फाइनल में कुमार संगकारा ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया था और श्रीलंका ने बोर्ड पर 274 रनों का स्कोर लगाया था.

टीम इंडिया के सामने 275 रनों का लक्ष्य था और टीम ने 10 गेंद शेष रहते हुए यह मुकाबला और वर्ल्ड कप पूरे छह विकेट से जीतकर अपने नाम किया. फाइनल मैच में मैथ्यूज को खेलने का मौका नहीं मिल सका था. दरअसल, में क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों की चोट के चलते एंजेलो मैथ्यूज टूर्नामेंट का फाइनल नहीं खेल सके थे.

क्रिक ट्रैकर से बात करते हुए एंजेलो मैथ्यूज ने कहा, “यह मेरा पहला 50 ओवर का विश्व कप था, जैसा कि मैंने 2009 और 2010 में विश्व टी 20 में खेला था. 2011 एक खास था, क्योंकि हम अपनी परिस्थितियों में खेल रहे थे. हमने बहुत अच्छा क्रिकेट खेला और फाइनल में जगह बनाई. फाइनल में भी हमने अच्छा खेला. बदकिस्मती से मैं इंजर्ड हो गया, जो कि मेरे लिए निराशाजनत पलों में से एक था क्योंकि मैं सेमीफाइनल में जीतने के बाद फाइनल में खेलने वाला था.

“मैं क्वाड्रिसेप्स की मांसपेशियों की चोट के बाद दो सप्ताह तक चल भी नहीं पाया क्योंकि उसमें काफी दर्द था. डॉक्टरों ने मुझे खेलने के लिए मना कर दिया. लेकिन मैं खुश था कि मुझे टीम के साथ भारत ले जाया गया, यह देखने के लिए कि क्या मैं खेल सकता हूं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.’’

एंजेलो के अनुसार अगर श्रीलंका 300 या ३२० रन बनाती तो भारतीय टीम को कड़ी चुनौती दे सकती थी. उन्होंने कहा, “मुझे अभी भी लगता है कि अगर हम 320 के करीब होते, तो हम भारत की मजबूत बल्लेबाजी लाइनअप का मजबूत चुनौती दे सकते थे. भारतीय विकेट के रोड की तरह सपाट हैं और जब कोई बल्लेबाज रन बनाना शुरु करता है, तो उसे रोकना वास्तव में कठिन हो जाता है. भारत के पास शानदार बैटिंग लाइनअप भी थी. वानखेड़े एक बहुत बड़ा स्टेडियम नहीं है, लेकिन जब आप इसे मारते हैं तो गेंद हिट रहती है और पिच भी अच्छी होती है.’’

उन्होंने काहा, “हम लगभग 20 से 30 रन से कम थे. हमारे पास हमारे मौके थे, लेकिन गौतम (गंभीर) और विराट (कोहली) ने वास्तव में अच्छी बल्लेबाजी की. फिर, एमएस धोनी ने उनका साथ दिया और इसे अंत तक ले गए। कुल मिलाकर, यह एक अच्छा खेल था.’’

फाइनल में लक्ष्य का पीछा करते हुए भारत की शुरुआत काफी खराब रही थी, लेकिन मैच में गौतम गंभीर 97 और एमएस धोनी ने नाबाद 91 रनों की पारी खेली देश को दूसरी बार विश्व कप जीताने का काम किया. साथ ही भारत पहला ऐसा देश भी बना, जिसने अपनी घरेलू सरजमीं पर टूर्नामेंट जीता हो.

Written by: अखिल गुप्ता

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