ऑस्ट्रेलियाई सरजमीं पर लगातार दूसरी बार बॉर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज जीतकर भारतीय क्रिकेट टीम ने एक नायाब इतिहास रच दिया है. खासतौर पर ये सीरीज टीम इंडिया और पूरे देशवासियों के लिए बिल्कुल खास रही. ये श्रृंखला भारतीय टीम ने कार्यवाहक कप्तान अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में जीतकर अपने नाम की.
शायद ही किसी ने सोचा होगा, लेकिन रहाणे ने ना सिर्फ अपनी दमदार कप्तानी से सभी को खासा प्रभावित किया, बल्कि दुनियाभर में अपना लोहा भी मनवा लिया.
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी का अंतिम मुकाबला ब्रिस्बेन में गाबा के मैदान पर खेला गया था, जिसे टीम इंडिया ने अंतिम दिन के अंतिम क्षणों में बेहतरीन खेल दिखाकर अपने नाम किया. टीम के सामने 328 रनों की विशाल चुनौती थी और टीम ने ये बड़ा लक्ष्य सात विकेट खोकर अपने नाम किया.
आप सभी को याद दिला दे कि, इस सीरीज का पहला मुकाबला एडिलेड में खेला गया था. जहां टीम इंडिया को विराट कोहली की अगुवाई में एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. हैरान करने वाली बात तो ये रही थी कि एडिलेड टेस्ट की दूसरी पारी में भारतीय टीम मात्र 36 के स्कोर पर सिमट गई थी. उसके बाद अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में टीम ने ना सिर्फ दमदार वापसी की, बल्कि अंत में ट्रॉफी जीत एक बड़ा इतिहास भी रच दिया.
वाकई में एडिलेड में मिली हार के बाद 2-1 में टेस्ट सीरीज जीतना किसी बड़े सपने में कम नहीं है. साल 2018-19 में भारत ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गया था, तब भी टीम ने शानदार खेल दिखाते हुए 2-1 से टेस्ट सीरीज अपने नाम की थी और एशिया की पहली टीम बनी थी, जिसने ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीतने का कारनामा किया हो.
मंगलवाज को ब्रिस्बेन टेस्ट जीतने के बाद टीम के कप्तान अजिंक्य रहाणे बेहद खुश नजर आए. मैच के बाद पोस्ट मैच प्रेजेंटेशन के दौरान रहाणे ने अपने बयान में कहा, “यह हमारे लिए बहुत मायने रखता है. मुझे नहीं पता कि इस खुशी को कैसे बयां करूं, लेकिन हमारे खिलाड़ियों ने एडिलेड टेस्ट के बाद पॉजिटिव कैरेक्टर दिखाते हुए सीरीज में वापसी का दृढ़ संकल्प दिखाए. मुझे वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति पर गर्व है. पुजारा और मेरे बीच बातचीत यह थी कि वह सामान्य बल्लेबाजी करेंगे, और मैं इसे ले लूंगा. हालांकि ये हमारी सोच थी. पुजारा को श्रेय जाता है, जिस तरह से उन्होंने दबाव को संभाला वह शानदार था. ऋषभ और वॉशिंगटन अंत में बहुत अच्छे थे.”
उन्होंने आगे कहा, “20 विकेट लेना इस मैच का जरुरी पहलू था, इसलिए हमने 5 गेंदबाजों को चुना. जब जडेजा चोटिल हो गए, तो सुंदर ने जडेजा टीम में रिप्लेस किया. पांच गेंदबाजों को खेलाने का इरादा साफ था. सिराज ने दो टेस्ट खेले, सैनी सिर्फ एक, इसलिए यह अनुभवहीन था लेकिन गेंदबाजों और अन्य सभी ने जो कैरेक्टर दिखाया वह अविश्वसनीय था. हमने एडिलेड के बारे में कुछ भी चर्चा नहीं की. बस खेला गया परिणाम के बारे में चिंता किए बिना. हम अच्छे रवैये और कैरेक्टर के साथ मैच खेलना चाहते थे.”
बता दे कि, ब्रिस्बेन के मैदान पर भारतीय टीम की पहली टेस्ट जीत रही, जबकि ऑस्ट्रेलिया को पिछले 32 सालों में पहली बार इस मैदान पर हार का मुहं देखना पड़ा. पूरी टेस्ट सीरीज में रहाणे ने अपनी शानदार कप्तानी के साथ साथ बढ़िया बल्लेबाजी भी की और चार मैचों में 38.29 की औसत के साथ 268 रन भी बनाए. मेलबर्न में खेले गए बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में उन्होंने बढ़िया 112 रनों की शतकीय पारी खेली थी.