सिडनी क्रिकेट ग्राउंड पर भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का तीसरा मुकाबला ड्रॉ रहा. मैच को ड्रॉ कराने में टीम इंडिया ने कमाल का जज्बा दिखाया और पूरी दुनिया को ये भी दिखा दिया कि ये टीम विराट कोहली के बिना भी जीतने और विपक्षी टीमों की आंखों में आँख डालकर खेलने की क्षमता रखती है. मैच के अंतिम दिन के खेल में भारत को जीतने के लिए 309 रनों की दरकार थी और कप्तान अजिंक्य रहाणे के विकेट के बाद सबने जीत की उम्मीद मानों छोड़ सी दी थी.
इसके बाद चौथे विकेट के लिए चेतेश्वर पुजारा (77) और ऋषभ पंत (97) रनों की पारी खेल मैच में टीम को वापस ला खड़ा किया. हालांकि इन खिलाड़ियों के विकेट के बाद सभी ने टीम से जीत की उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन इसके बाद जो हुआ वो हमेशा के लिए इतिहास बन गया.
छठे विकेट के लिए हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन ने नाबाद 62 रनों की साझेदारी निभाई. दोनों खिलाड़ियों ने 41 ओवर बल्लेबाजी कर सभी को हैरान कर दिया. विहारी और अश्विन दोनों ही बल्लेबाजी करते वक़्त चोटिल हो गये थे, लेकिन इसके बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और डट कर कंगारू टीम के गेंदबाजों का सामना किया. हनुमा ने जहां 161 गेंदों पर नाबाद 23 रन बनाए, जबकि अश्विन 128 गेंदों पर 39 के स्कोर पर नाबाद लौटे.
सिडनी टेस्ट मैच में भारत को हार को बचाने और एक यादगार ड्रॉ कराने में इस जोड़ी का सबसे अहम योगदान रहा. मैच के बाद आर अश्विन और हनुमा विहारी ने बीसीसीआई टीवी पर अपनी साझेदारी के बारे में चर्चा की.
बीसीसीआई टीवी पर बात करते हुए अश्विन ने कहा, ‘’पूरी तरह से, मैं यह नहीं समझा सकता कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूं, लेकिन मुझे लगता है कि यह वास्तव में, वास्तव में विशेष था. वास्तव में, हम दोनों थोड़ी देर के लिए सुन्न और शांत हो गये थे, हमने आखिर के पलों में जश्न भी नहीं मनाया क्योंकि पता ही नहीं था कि क्या करें. हम एक विशेष गेंदबाज का सामना करने और विकेट बचाने में इतने मसरूफ थे. पिछली रात, जब मैं एक दर्दनायक पीठ के साथ बिस्तर पर गया था, मैं सिर्फ अपने आप से कह रहा था कि ‘अगर मैं सिर्फ डेड बैटिंग कर सकता हूं, जैसे कि एडिलेड में फाफ डु प्लेसिस ने कैसे किया, तो मैं खुद को एक अच्छा मौका दे सकता हूं.’’
इसी बीच हनुमा विहारी ने भी अश्विन को बड़े भाई का नाम दिया और कहा कि अश्विन ने उनकी पूरी मदद की जिसके कारण हम ये साझेदारी करने में सफल रहे. वास्तव में, विहारी तेज गेंदबाजों के खिलाफ अधिक सहज थे जबकि अश्विन ने नाथन लायन को आसानी से खेला. इस प्रकार, दोनों बल्लेबाज अपने अनुसार स्ट्राइक को बदलते रहे.
विहारी ने अपने बयान में कहा, ‘’वह सत्र मेरे लिए एक वास्तविक अनुभव था. यह कुछ ऐसा था जिसे आप केवल पांच दिन बल्लेबाजी करने का सपना देख सकते हैं. श्रृंखला 1-1 की बराबरी पर है और अगर आप इसे टीम के लिए करते हैं तो बहुत संतुष्टि मिलती है.”
आप सभी की जानकारी के लिए बता दे कि, मौजूदा सीरीज का अंतिम टेस्ट मैच 15 जनवरी से ब्रिस्बेन के मैदान पर खेला जाएगा.