ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान स्टीव वॉ का ऐसा कहना है कि 2001 में भारत को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीताने में हरभजन सिंह का एक बड़ा हाथ रहा था. स्टीव वॉ की अगुआई में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम भारत दौरे पर आई थी, उस समय टीम विश्व की सबसे ताकतवर टीमों में से एक हुआ करती थी. टीम ने एक के बाद एक लगातार 16 टेस्ट जीतने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था. इतना ही नहीं सीरीज का पहला टेस्ट मेहमान टीम ने मुंबई में पूरे 10 विकेट से जीतकर अपने नाम किया था.
उस समय सीरीज का दूसरा मुकाबला कोलकाता के ईडन गार्डन्स के मैदान पर खेला गया था. जहां टीम इंडिया ने फॉलो ऑन का पीछा करते हुए एक यादगार टेस्ट जीत इतिहास रचा था. उस मैच में राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने यादगार 376 रनों की साझेदारी निभाई थी और मैच में हरभजन सिंह ने कुल 13 विकेट अपनी झोली में डाले थे.
पूरी टेस्ट सीरीज के तीन टेस्ट मैचों में भज्जी ने कमाल की गेंदबाजी करते हुए अविश्वसनीय 17.03 की औसत के साथ 32 ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को पवेलियन का रास्ता दिखाया था. इस पूरी सीरीज में उनका गेंदबाजी स्ट्राइक रेट 33.47 का था. मैथ्यू हेडन को छोड़ दिया जाए तो पूरी वॉ एंड कंपनी उनके सामने नतमस्तक होती नजर आई थी.
कोलकाता में लिए गये 13 विकेटों में एक अविस्मरणीय हैट्रिक भी शामिल थी. चेन्नई में खेले गये तीसरे टेस्ट मैच में भी हरभजन ने लाजवाब गेंदबाजी करते हुए 15 विकेट अपने नाम किये थे. चेन्नई में हरभजन सिंह को ‘मैन ऑफ द मैच’ के साथ साथ ‘मैन ऑफ द सीरीज’ का अवार्ड भी मिला था.
स्टीव वॉ ने अपने बयान में कहा, ”उन्होंने 2001 में भारत के लिए सीरीज जीती थी. तीन टेस्ट मैचों में 32 विकेट. हमारी पूरी टीम उनके उछाल का सामना नहीं कर सकी थी. उनको विकेट से अद्दभुत उछाल मिली थी. हर एक स्पैल में वो हमारे खिलाड़ी शानदार गेंदबाजी कर रहे थे और पूरी सीरीज में वो हम पर हावी थे.”
वॉ ने आगे अपने बयान में कहा, ”उनका स्ट्राइक रेट हैरान करने वाला था और उन्होंने एक के बाद एक ओवर डाले थे. हैडन ने ही उनका डटकर सामना किया था, बाकि के खिलाड़ी उनसे बचने का कोई रास्ता ही नहीं खोज पाए. अगर वो उस सीरीज में ना होते तो हम सीरीज जीत सकते थे. हमारे खिलाफ उनके आंकड़े वाकई में जबरदस्त थे.”
इस बात में कोई शक नहीं है, कि हरभजन सिंह को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गेंदबाजी करना बहुत ही पसंद है. टर्बनेटर के नाम से लोकप्रिय हरभजन ने कंगारू टीम के खिलाफ खेले 18 टेस्ट मैचों में 29.95 की औसत के साथ कुल 95 विकेट लिए. ओवरऑल अपने खेले 103 टेस्ट मैचों में भज्जी ने 417 विकेट अपनी झोली में डाले.
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