टीम इंडिया के धुरंधर तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के बॉक्सिंग डे टेस्ट मैच में डेब्यू किया था. सिराज के लिए ये दौरा काफी यादगार रहा, क्योंकि उन्होंने अपने टेस्ट करियर के माइलस्टोन हासिल किए. पेसर ने कहा है कि उन्होंने वास्तव में अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में खेलने में मजा आया क्योंकि उन्हें इस सीरीज में आत्मविश्वास मिला है.
अनुभवी खिलाड़ियों की गैरमौजूदगी में भारत की युवा बिग्रेड ने ऑस्ट्रेलिया में कमाल किया. वाशिंगटन सुंदर, टी नटराजन, मोहम्मद सिराज ऑस्ट्रेलिया में छाए रहे. सिराज ने गाबा टेस्ट मैच में तो भारत की तेज गेंदबाजी यूनिट का नेतृत्व किया क्योंकि उनके साथ टीम में शार्दुल ठाकुर, नवदीप सैनी व टी नटराजन ( डेब्यूडेंट) थे.
गाबा टेस्ट मैच में सिराज ने अपने टेस्ट करियर का पहला फाइव विकेट हॉल लिया, जिसके बाद ये सीरीज उनके लिए और भी खास हो गई. दरअसल, जब ऑस्ट्रेलिया की टीम ब्रिस्बेन टेस्ट में दूसरी पारी में बल्लेबाजी कर रही थी तब सिराज की बेहतरीन बॉलिंग से ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज 300 रनों का आंकड़ा टच नहीं कर पाए और भारत के सामने कुल 328 रनों का लक्ष्य खड़ा किया.
तेज गेंदबाज सिराज ने टेस्ट सीरीज में भारत के लिए सबसे अधिक विकेट झटकने वाले गेंदबाज रहे. उन्होंने 13 विकेट अपने नाम किए. पेसर के लिए ये दौरान आसान नहीं होने वाला था क्योंकि जब वह ऑस्ट्रेलिया में थे तब भारत में उनके पिता ने अंतिम सांसे लीं. मगर सिराज ने टीम इंडिया के लिए खेलने को चुना और अपने पिता के अंतिम संस्कार में आने के बजाए ऑस्ट्रेलिया में पिता के सपने को पूरा करने के लिए रुक गए.
सिराज ने स्पोर्स्ट तक से बात करते हुए बताया है कि उन्हें अजिंक्य रहाणे की कप्तानी में खेलने में काफी मजा आया. उन्होंने कहा,
“अज्जू भाई (अजिंक्य रहाणे) ने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया. मुझे वास्तव में बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं उनके विश्वास पर खरा उतर सका. वह हमेशा मेरे साथ बातचीत करते थे कि मैं क्या बेहतर कर सकता हूं. इसलिए मुझे वास्तव में उनकी कप्तानी में खेलने में बहुत मजा आया.“
सिराज ने ना केवल कप्तान रहाणे की तारीफ की बल्कि युवा पेसर ने कोच रवि शास्त्री को लेकर बताया,
“रवि सर (मुख्य कोच) ने हमें बताया था कि हम फिर कभी 36 ऑल आउट नहीं होंगे. इसलिए हमारी टीम मैनेजमेंट ने सकारात्मक माहौल बनाया है. वे युवाओं को विश्वास दिला रहे थे.”
भारत ने ऑस्ट्रेलिया दौरे पर पहला टेस्ट मैच बुरी तरह हारा था. एडिलेट टेस्ट में भारत के सभी बल्लेबाज सिर्फ और सिर्फ 36 रन पर ही ऑलआउट हो गए थे. मगर फिर भारतीय टीम ने वापसी की और 2-1 से सीरीज को जीतकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को लगातार तीसरी बार रिटेन किया.
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