भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने ऑस्ट्रेलिया टूर पर टीम को सीरीज जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसके लिए हर कोई पंत को सलाम कर रहा है. पंत ने ब्रिस्बेन में 89* की पारी खेलकर भारत को 3 विकेट से जीत दिलाई थी और भारत ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी को 2-1 से रिटेन करने में कामयाबी हासिल कर ली थी.
ब्रिस्बेन टेस्ट में भारत के सामने चौथी पारी में 328 रनों का टार्गेट था. गाबा के मैदान पर उस दिन से पहले कभी 250 से अधिक का लक्ष्य सफलतापूर्वक चेज नहीं किया गया था. मगर उस दिन ऑस्ट्रेलिया की बादशाहत गाबा से खत्म हुई और 33 साल बाद कंगारु टीम को गाबा क्रिकेट स्टेडियम में हार मिली.
328 रनों को चेज करने उतरी टीम इंडिया के युवा ओपनर शुभमन गिल ने 91 रन की बड़ी पारी खेलकर भारत के लिए मानो जीत की नींव का पहला माइलस्टोन हासिल किया. इसके बाद चेतेश्वर पुजारा दीवार बनकर विकेट के सामने खड़े रहे ताकि दूसरी ओर खड़े युवा खिलाड़ी अपने शॉट्स खेलकर रन चेज करें.
इस दौरान ऋषभ पंत ने 89* रन बनाकर भारत को 3 विकेट से जीत दिलाई. इसके लिए पंत को प्लेयर ऑफ द मैच का सम्मान दिया गया. पंत ने भारत लौटने के बाद टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए साक्षात्कार में बताया,
‘हारना कभी भी एक ऑप्शन नहीं है, लेकिन जीतना हमेशा एक बेहतर विकल्प रहता है. मेरा माइंडसेट यही था कि टीम को सीरीज में जीत दिला सकूं, ताकि यह टूर यादगार बन जाए. दिन के आखिरी में, भारत के लिए मैच जीतना सब कुछ है. इससे ऊपर कोई भी चीज नहीं है.’
गाबा टेस्ट में भारत को जीत दिलाने वाले युवा ऋषभ पंत को लगता है कि यदि वह सिडनी टेस्ट मैच में भी आखिर तक टिक जाते तो वह भारत को जीत दिला सकते थे. जबकि पंत इस मैच में 118 बॉल्स पर 97 रनों पर आउट जरुर हुए थे, मगर उन्होंने ऐतिहासिक ड्रॉ में बड़ा योगदान दिया था. पंत ने सिडनी टेस्ट को लेकर कहा,
‘जब मैं सिडनी टेस्ट के आखिरी दिन 97 रनों पर आउट हुआ। तो मैंने सोचा कि अगर मैं देर तक बैटिंग करता तो टीम को जीत दिला सकता था। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता अगर मुझे बल्लेबाजी से पहले दो इंजेक्शन लेने पड़ते। मैं उस जोन में था, जहां मैं हाथ आए किसी भी मौके को गंवाना नहीं चाहता था, तो मैंने इस बात का ध्यान रखा कि मैं ब्रिसबेन में अंत तक क्रीज पर रहूं।’