भारत को टेस्ट सीरीज में जीत दिलाने वाले युवा विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने खुलासा किया है कि वह हमेशा टेस्ट मैच को जीतना चाहते हैं और मैच को ड्रॉ करना उनके लिए हमेशा दूसरा विकल्प होता है. पंत, जो अपने प्रदर्शन के लिए जांच के अधीन थे, ने कहा कि टीम प्रबंधन का संदेश स्थिति के आधार पर गाबा टेस्ट में जीत के लिए जाना था।
ब्रिस्बेन टेस्ट में मैच विनिंग इनिंग खेलने के बाद ऋषभ पंत को चौतरफा प्रशंसा मिल रही है. गाबा में 328 रनों का पीछा करते हुए ओपनर शुभमन गिल ने 91 रन बनाकर भारत के लिए जीत का मंच तैयार कर दिया था और ऋषभ ने 89* विनिंग पारी खेली और आखिर में चौका लगाकर भारत को तीन ओवर पहले ही गाबा टेस्ट मैच में 3 विकेट से जीत दिलाई और सीरीज में जीत दिला दी थी.
इस पारी ने ऋषभ पंत को गाबा में मैन ऑफ द मैच पुरस्कार दिलाया था और भारत 2-1 से सीरीज जीतने में कामयाब रहा था. 1988 के बाद ऑस्ट्रेलिया की टीम ने गाबा के मैदान पर कोई मैच हारा था और भारत ने ये ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी. ऋषभ पंत जब गाबा की दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने आए थे, तो वह विकेट बचाकर जरुर खेल रहे थे, मगर शॉट्स में कमी नहीं आई थी. पंत ने मैच के बारे में बात करते हुए स्पोर्ट्स टुडे से कहा कि,
“मेरा पूरा ध्यान लक्ष्य पर था और मेरे ज़हन में ड्रॉ कभी भी एक विकल्प नहीं था. मेरी मनोदशा हमेशा ही सामान्य क्रिकेट खेलने की थी और टीम प्रबंधन ने भी पहली पारी में इस बारे में बात की थी. मैनेजमेंट ने मुझसे रन बनाने की ओर देखने और ढीली गेंदों को भुनाने के अलावा पिच पर टिकने को कहा था.”
“शुरुआत से ही टीम मैनेजमेंट की योजना मैच में जीत की ओर देखने की थी. और मेरी सोज भी हमेशा जीत की रही है. मैं हर मैच जीतना चाहता हूं और ड्रॉ मेरे लिए दूसरा विकल्प है.“
बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में ऋषभ पंत भारत के लिए सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी रहे. उन्होंने 68.50 के औसत से 274 रन बनाए थे.
भारत को अगली टेस्ट सीरीज इंग्लैंड के साथ खेलनी है. इसकी शुरुआत 5 फरवरी से होगी और पहला मैच चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में खेला जाएगा. जिस तरह का खेल पंत ने ऑस्ट्रेलिया में दिखाया है, उसे देखकर यही लगता है कि वह अपकमिंग टेस्ट सीरीज में विकेटकीपर-बल्लेबाज के रूप में अंतिम एकादश का हिस्सा होंगे.