आईपीएल 2021 में चेन्नई सुपर किंग्स ने अपने प्रदर्शन से क्रिकेट जगत के कई बड़े नामों को हैरान कर दिया. न्यूजीलैंड के पूर्व ऑलराउंडर स्कॉट स्टाइरिस भी इस लिस्ट में शामिल हैं. स्टाइरिस का कहना है कि उन्होंने कल्पना नहीं की थी कि इस सीजन में सीएसके के प्रदर्शन में इतना सुधार आएगा.
चेन्नई सुपर किंग्स ने आईपीएल 2021 में 14 मैचों में से खेले गए 7 मैचों में से 5 मैच जीते और 10 अंकों के साथ प्वॉइंट्स टेबल में दूसरे स्थान पर रही. जबकि पिछले सीजन फ्रेंचाइजी अंक तालिका में सातवें स्थान पर रहते हुए टूर्नामेंट में प्ले ऑफ में जगह नहीं बना पाई थी. मगर इस बार फ्रेंचाइजी ने साबित कर दिया कि वह टूर्नामेंट की सबसे सफल फ्रेंचाइजियों में से क्यों हैं.
इसके अलावा, रुतुराज गायकवाड़, फाफ डु प्लेसिस, रवींद्र जडेजा और दीपक चाहर ने टीम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
स्टार स्पोर्ट्स में बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि “सीएसके का बदलाव अप्रत्याशित है. पिछले सीजन में खराब प्रदर्शन के बाद सीएसके ने इस सीजन में शानदार प्रदर्शन से साबित कर दिया है कि वो बस एक एक बुरा वक्त था. ईमानदारी से कहूं तो मुझे इस सीजन में भी चेन्नई पर बहुत अधिक विश्वास नहीं था लेकिन वो एक समझदार फ्रेंचाइजी है. उन्होंने कुछ स्मार्ट निर्णय लिए.”
उन्होंने कहा, “चेन्नई सुपर किंग्स ने इस सीजन सुरेश रैना और अंबाती रायडू को निचले क्रम में धकेलते हुए नंबर-3 पर मोइन अली को जगह दी. रैना तीसरे नंबर पर टीम पर महत्वपूर्ण रहे हैं. लेकिन रैना अब रेगुलर क्रिकेट नहीं खेलते हैं. इसीलिए ये निर्णय लिया गया.”
चेन्नई अपनी बल्लेबाजी से मैच में पलड़ा भारी करने में सक्षम रही. इस बार नई भर्ती मोईन अली को टीम मैनेजमेंट ने तीसरे नंबर पर भेजने का बड़ा फैसला लिया, जहां बल्लेबाज ने 6 मैचों में 34.33 की औसत से 157 रन बनाए और 157.25 की शानदार स्ट्राइक रेट से रन बनाए.
अली ने तीसरे नंबर पर एक निडर दृष्टिकोण के साथ बल्लेबाजी की और रन बनाने में सक्षम रहे. इसके अलावा, ऑफ स्पिनर ने आईपीएल 2021 के छह मैचों में 14.80 की शानदार औसत और 6.16 की इकॉनमी रेट से 5 विकेट हासिल किए.
“नीलामी में चेन्नई की सबसे अच्छी खरीब मोईन अली रहे, जिन्हें तीसरे नंबर पर भेजने का फैसला लिया गया. पिछले साल मध्य क्रम मजबूत नहीं था और मुझे लगता है कि यही कारण था कि वे पहली बार प्लेऑफ नहीं बना पाए थे.”
स्टायरिस ने कहा, “उन्होंने इसे मजबूत किया और इसे आश्वस्त किया और फिर उन्होंने इस टूर्नामेंट में हर किसी को बल्ले के साथ भेजने का फैसला किया और यही उनकी जीत और वापसी का कारण है.”
इस बीच, धोनी एक बार फिर से अपने खिलाड़ियों से सर्वश्रेष्ठ हासिल करने में सफल रहे और उन्हें आगे की ओर ले गए. वास्तव में धोनी ने बल्ले से बड़ी भूमिका नहीं निभाई क्योंकि वह अपनी शक्तियों के शिखर पर नहीं हैं, लेकिन एक बार फिर से टीम का नेतृत्व किया और सकारात्मक परिणाम हासिल करने में सफल रहे.
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