18 महीने पहले दक्षिण अफ्रीका में भुवनेश्वर कुमार का अच्छा समय चल रहा था जब वे आलोचकों का मुंह बंद कर दे रहे थे और उनकी गेंदबाजी की स्वाभाविक शैली के लिए चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में अपने प्रदर्शन से सभी को गलत साबित कर रहे थे।
ज्यादातर लोगों के लिए वे खास तौर पर एक स्विंग करने वाले गेंदबाज थे, जिन्हें अपनी गेंदबाजी के लिए परिस्थितियों पर निर्भर करना पड़ता था। भारतीय कप्तान, विराट कोहली (अधिक जानकारी के लिए देखें विराट कोहली संबंधी खबरें) ने उन्हें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ दूसरे टेस्ट के लिए टीम से बाहर कर दिया था हालांकि उन्होंने पहले टेस्ट में छह विकेट चटकाए थे, जिसमें भारत हार गया था।
उन्हें निकालने का कारण बताते हुए हमेशा की तरह एक बार फिर से यही कहा गया कि “परिस्थितियां उन्हें सूट नहीं करती हैं”। वैसे भी, उन्हें निकालने से कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि भारत उस मैच में भी हार गया। इस नुकसान ने उन्हें जोहान्सबर्ग में तीसरे टेस्ट के लिए उन ग्यारह में वापस शामिल करने के लिए मजबूर कर दिया। और उस मैच में भारत की जीत हुई जिसका मूल कारण भुवनेश्वर का योगदान ही था।
उन्होंने ना केवल 3/44 और 1/39 के गेंदबाजी के आंकड़े दर्ज किए, बल्कि भुवनेश्वर ने बल्लेबाजों के लिए एक बुरे सपने जैसे लगने वाले पिच पर बेहद दबाव में अपने बल्ले से 30 और 33 रन भी बनाए। उन्हें उचित रूप से मैन ऑफ द मैच भी चुना गया। हालांकि यह उनका अब तक का आखिरी टेस्ट मैच साबित हुआ।
भारत ने तब से अब तक 14 टेस्ट खेले हैं और भुवनेश्वर उनमें से किसी में भी शामिल नहीं थे। हालात इतने बदल गए हैं कि वे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ़ होने वाली आगामी टेस्ट सीरीज के लिए भी टीम में नहीं हैं।
तो क्या कारण है कि चयनकर्ताओं ने टेस्ट क्रिकेट के लिए लगातार उनकी अनदेखी की है?
जवाब सिर्फ एक शब्द में दे दिया जा सकता है – फिटनेस।
भुवनेश्वर ने इंग्लैंड में तीन मैचों की टी-20आई सीरीज में सात विकेट लेकर जोहान्सबर्ग टेस्ट में अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा। हालांकि, भारतीय टी-20 लीग के पिछले संस्करण के बाद से ही उनकी परेशानी बनी हुई पीठ की चोट ने उन्हें लीड्स में इंग्लैंड के खिलाफ़ तीसरे वनडे मैच में मैदान से बाहर निकल जाने के लिए मजबूर कर दिया।
इसके बाद उन्हें दो महीने की पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना पड़ा और सितंबर में यूएई में एशिया कप के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उन्हें फिर से पूरी लय में वापस देखा गया। सिर्फ 4.19 के इकॉनमी रेट से पांच पारियों में छह विकेट लेकर भुवनेश्वर को एक बार फिर अपनी मौजूदगी महसूस करने के लिए तैयार देखा गया।
उन्होंने सीमित ओवरों की सीरीज में नियमित रूप से अपनी खासियत दिखाई है, जिनमें वेस्टइंडीज के खिलाफ़ घरेलू पिच पर खेले गये, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ घरेलू और विदेशी पिच पर, और न्यूजीलैंड के खिलाफ़ घर से दूर, विदेशी पिच पर खेले गये मैच भी शामिल हैं।
हालांकि जब टेस्ट में खेलने की बात आई तो वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के खिलाफ़ होम सीरीज के दौरान उन्हें विश्राम दे दिया गया, जबकि वे उस सीरीज के लिए तैयार की गयी टीम में शामिल थे, भुवनेश्वर को उनमें से किसी में भी खेलते नहीं देखा गया।
किसी ने भी ध्यान नहीं दिया लेकिन जसप्रीत बुमरा (जसप्रीत बुमराह संबंधी खबरें) और इशांत शर्मा, और पूरी तरह फिट मोहम्मद शमी (मोहम्मद शमी संबंधी न्यूज अपडेट्स) के लगातार अच्छे प्रदर्शन ने भुवनेश्वर के लिए सबसे लंबे फॉर्मेट में खेलने की संभावना को खत्म कर दिया था।
विश्व कप के दौरान एक और चोट झेलने का मतलब था कि वे अक्सर फिटनेस के मामले से जूझते रहे। उसके बाद उन्होंने वेस्टइंडीज दौरे के दौरान वनडे सीरीज में भी एक बार फिर अच्छा प्रदर्शन किया लेकिन प्रबंधन अपने कार्यभार संभालने को लेकर हद से ज्यादा चिंतित हो गया, जिसका मतलब था कि उन्हें वेस्टइंडीज के खिलाफ़ टेस्ट टीम से भी बाहर रखा गया।
जब जसप्रीत बुमरा को चोट लगी, तो चयनकर्ता और प्रबंधन प्रोटियाज के खिलाफ़ इस आगामी घरेलू टेस्ट सीरीज के लिए भुवनेश्वर को वापस लाने का चुनाव कर सकते थे। लेकिन उनके बजाय उन्होंने उमेश यादव को लाना बेहतर समझा जिससे भुवनेश्वर के प्रति उनकी योजनाओं का साफ तौर पर अनुमान लगाया जा सकता है।
अभी भारत के पास बुमरा, इशांत और शमी की पहली टीम की तिकड़ी के अलावा टेस्ट मैच के लिए रिजर्व गेंदबाजों के रूप में उमेश यादव और नवदीप सैनी जैसे खिलाड़ी हैं। जहां तक टी-20आई की बात है तो उनके पास दीपक चाहर और खलील अहमद जैसे खिलाड़ी है। इसलिए अब भुवनेश्वर के खेलने के लिए केवल ओडीआई ही बच जाते हैं। और अगर चाहर और खलील टी-20आई में अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो निश्चित तौर पर वे वनडे में भी भुवनेश्वर के आगे की रुकावट बनेंगे। इसलिए यह देखना है कि आगे का रास्ता भुवनेश्वर को कहां ले जाता है। (और अधिक भारत की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम की खबरों के लिए क्लिक करें)
लेखक: प्रसेनजीत दे
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