अगर दुनिया भर में सभी टीमें 9 या 10 नंबर तक बल्लेबाजी कर रही हैं तो भारतीय टीम क्यों नहीं कर सकती ?”
यह बात विराट कोहली की ताजा खबर में कही गई, जब उनसे दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ T20I सीरीज की शुरुआत से पहले प्रेस-कॉन्फ्रेंस में कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को आराम देने के कारण के बारे में पूछा गया। हालांकि कोहली ने ‘आराम’ शब्द का इस्तेमाल किया गया था, लेकिन उन्हें वास्तव में अपनी बल्लेबाजी क्षमता के चलते टीम में शामिल नहीं किया गया।
विराट कोहली और टीम प्रबंधन ने इस श्रृंखला में बेहतर बल्लेबाजी डेप्थ के साथ प्रयोग करने के बारे में अपना मन बना लिया था, इसलिए, क्रुणाल पांड्या, वाशिंगटन सुंदर और रवींद्र जडेजा ( रवींद्र जडेजा के बारे में अधिक अपडेट के लिए) जैसे फिंगर स्पिनरों को कुलदीप और चहल से आगे जगह सिर्फ अपने बेहतर बल्लेबाजी क्षमता के कारण मिली ।
हालांकि, कोहली और टीम प्रबंधन ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि वे अपनी पुच्छले बल्लेबाज़ी को मज़बूत करने के साथ ही गेंदबाजी डेप्थ से समझौता कर रहे थे। उन्होंने दो आक्रमणकारी गेंदबाजी विकल्पों का हटा दिया और श्रृंखला में रक्षात्मक दृष्टिकोण के साथ चले गए।
जिसके चलते परिणाम अच्छा नहीं रहा क्योंकि क्रुनाल, जडेजा और सुंदर ने श्रृंखला में कुल 17.5 ओवरों में बस एक विकेट ही ला पाए । 7.54 की उनकी कंबाइंड इकॉनमी रेट हालाँकि स्वीकार्य थी लेकिन 107 की उनकी स्ट्राइक-रेट कही से भी भुलाने वाली नहीं थी।
वास्तव में, यह आंकड़े इस श्रृंखला में अपने दक्षिण अफ्रीकी समकक्षों के आंकड़ों की तुलना में बहोत ही हल्के दिखते हैं। तबरेज शम्सी और ब्योर्न फोर्टुइन ने कुल 14 ओवरों में पांच विकेट लिए। इसलिए, वे विकेट केवल 16.80 के स्ट्राइक-रेट पर आए और उनकी 6.64 की इकॉनमी रेट भी बहुत ही शानदार थी।
यह तुलना बताती है कि भारत का दृष्टिकोण कितना त्रुटिपूर्ण है। हां, बल्लेबाजी लाइनअप में गहराई दुर्भाग्यपूर्ण टॉप-ऑर्डर पतन के मामले में बहुत अच्छी तरह से काम कर सकती है लेकिन ऐसा हर खेल में नहीं होता है। और उन मैचों में फिंगर स्पिनर्स द्वारा विकेट लेने की क्षमता की कमी भी बड़े समय तक दर्द पहुंचाने वाली है। क्रुनाल, जडेजा और सुंदर के करियर टी 20I स्ट्राइक-रेट क्रमशः 25.8, 26.5 और 21.5 है। भले ही सुंदर की करियर की 6.23 की अच्छी करियर इकॉनमी है, लेकिन क्रुनाल (8.10) और जडेजा (7.12) के लिए यह काफी औसत है।
वहीं दूसरी ओर, कुलदीप और चहल इस प्रारूप में टीम इंडिया के लिए बेहद सफल रहे हैं । जहां कुलदीप में 18 T20I में 11.5 की शानदार स्ट्राइक रेट से 35 विकेट लिए हैं, वहीं चहल नें एक बार फिर 25 मैचों में 46 विकेट,15.8 की शानदार स्ट्राइक रेट से हासिल किए हैं। और कुलदीप की 6.72 की इकोनॉमी रेट के साथ इतनी शानदार विकेट लेने की क्षमता, उन्हें इस तरह के शक्तिशाली आक्रमण के विकल्प के रूप में बनाता है। भले ही इस प्रारूप में चहल का करियर इकोनॉमी रेट 8.00 से थोड़ा अधिक है, लेकिन वह अपनी विकेट लेने की क्षमता से इसे बैलेंस करते हैं।
हां, उनके प्रदर्शन में कमी आयी है, लेकिन उनकी ओवरऑल रिकॉर्ड को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। किसी भी खिलाड़ी फॉर्म में परिवर्तन आ सकता है और उन्हें तब तक नहीं छोड़ा जाना चाहिए जब तक कि टीम के पास उन्हें बदलने का बेहतर विकल्प न हो। भारत क्रिकेट टीम के लिए इस समय फिंगर स्पिनर्स कुलदीप और चहल से बेहतर कोई नहीं हैं।
इसके अलावा, T20 क्रिकेट विश्व कप ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में खेला जायेगा, जहां बाउन्डरी बड़ी हैं और बल्लेबाजी के लिए पिच अच्छी हैं। ऐसी परिस्थितियों में, ऐसे गेंदबाजों की जरूरत है जिनकी कुछ अपनी चालें हैं। कुलदीप और चहल ने हमेशा वैसे हालात में अच्छा प्रदर्शन किया है जब बल्लेबाजों ने उन पर आक्रमण करना उचित समझा। और उनके पास जो विविधताएँ हैं, वे उन्हें इस तरह के शांत पिचों पर एक शक्तिशाली जोड़ी बनाती हैं।
हां, भारत के पास अभी भी अपने टीम संयोजन के साथ प्रयोग करने के लिए 25 और T20I मैच हैं। लेकिन उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसा करते समय वे समय का ध्यान रखें। ऐसा ही कुछ वनडे विश्व कप से पहले नंबर 4 के मसले को सुलझाने के साथ भी हुआ। बहुत अधिक प्रयोग से परेशानियाँ पैदा हुई और वे अपनी सबसे महत्वपूर्ण बल्लेबाजी क्रम को बिना मज़बूत किये ही मेगा-टूर्नामेंट में चले गए।
भारतीय प्रबंधन को इसे ध्यान में रखना चाहिए और उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि एक ही गलती को दोबारा न दुहराए। कुलदीप और चहल भारत के गेंदबाजी आक्रमण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और ऑस्ट्रेलिया में होने वाले इस मेगा-इवेंट के दौरान उनकी भूमिका काफी महत्वपूर्ण होने वाली है।
लेखक: प्रसेनजित डे
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