पूर्व भारतीय ऑलराउंडर इरफान पठान का मानना है कि भारत को न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में एक और बल्लेबाज के साथ उतरना चाहिए था. भारत ने रविचंद्रन अश्विन और रवींद्र जडेजा में अपने दो स्पिनरों के साथ उतरने का फैसला किया और उन्होंने बड़े मैच से एक दिन पहले अपनी प्लेइंग इलेवन की घोषणा की थी.
जैसा कि खेल के पहले दिन को बारिश ने धुल दिया था, तो भारत के पास अपनी अंतिम एकादश को बदलने का मौका था, लेकिन विराट कोहली ने आसमान में बादलों के होने के बावजूद दो स्पिनर्स खिलाए और उसी प्लेइंग इलेवन के साथ उतरे. हालांकि भारत की बल्लेबाजी इकाई ने विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में बहुत ही निराशाजनक बल्लेबाजी की. जिसमें पहली पारी में भारत 217 व दूसरी पारी में 170 पर सिमट गया.
भारत ने पहली पारी में अच्छी शुरुआत की थी, क्योंकि 146-3 के स्कोर के साथ दिन खत्म हुआ था. लेकिन फिर तीसरे दिन लय में नहीं दिखी और 217 तक ही पहुंच सकी. इसके बाद, भारत दूसरी पारी में भारत ने 170 रन बनाए और कीवी टीम को 139 रनों का आसान लक्ष्य दिया.
इरफान पठान ने स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए कहा, “मैंने डब्ल्यूटीसी फाइनल से पहले ही इस बारे में बात की थी. मुझे लगता है कि टीम में एक और बल्लेबाज होना चाहिए था. हमारे पास क्वालिटी तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर नहीं है, जो न्यूजीलैंड के पास हैं. ऐसे ऑलराउंडर को खोजना मुश्किल है.”
पठान को लगा कि दूसरी पारी में जिम्मेदारी की भावना की जरूरत थी. हालांकि, ऋषभ पंत ने 41 रन बनाकर सेटल होने के बावजूद लापरवाह शॉट खेला, जबकि रविचंद्रन अश्विन ने भी आक्रामक बल्लेबाजी का तरीका अपनाया. जो उस परिस्थितियों में सही फैसला नहीं था और इससे टीम इंडिया बैकफुट पर चली गई. इसके अलावा, दूसरी पारी में हालात उतने प्रतिकूल नहीं थे क्योंकि सूरज ढल चुका था और कीवी तेज गेंदबाजों के लिए शायद ही कोई मदद हो.
“अब अगर हम उचित क्रिकेट के नजरिए से बात करें तो मुझे लगता है कि पहली पारी शानदार रही, लेकिन दूसरी पारी में भारतीय टीम की बल्लेबाजी निराशाजनक रही. दूसरी पारी में गेंद उतनी स्विंग नहीं कर रही थी और भारतीय बल्लेबाज ज्यादा जिम्मेदारी से बल्लेबाजी कर सकते थे. मैं एक बल्लेबाज के रूप में ऋषभ पंत की क्षमताओं से अवगत हूं और वह गेंदों को बहुत अच्छी तरह से हिट कर सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप एक तेज गेंदबाज को बाहर निकल कर मारें। उन्हें जिम्मेदारी से खेलना चाहिए था.”
भारत विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में सामूहिक बल्लेबाजी प्रयास के साथ मैदान पर नहीं उतर सका क्योंकि बल्लेबाजों ने कीवी तेज गेंदबाजों के खिलाफ संयम नहीं बरता और हैरानी की बात रही कि दोनों ही पारियों में भारत का एक भी बल्लेबाज अर्धशतक तक नहीं पहुंच सका.
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