भारतीय कप्तान विराट कोहली बुधवार को साउथेम्प्टन के एजेस बाउल में न्यूजीलैंड के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप मुकाबले को 8 विकेट से हारने के साथ ही ट्रॉफी जीतने में असफल रहे. इस करारी हार के बाद विराट कोहली का मानना है कि डब्ल्यूटीसी फाइनल तीन मैचों की टेस्ट सीरीज होनी चाहिए थी क्योंकि इससे हारने वाली टीम को वापसी का मौका मिलता.
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने के लिए दोनों ही टीमों ने 2 साल तक कड़ी मेहनत की और उसका परिणाम एक मैच से निकलने से कई दिग्गजों को ऐतराज है. मुख्य कोच रवि शास्त्री, सचिन तेंदुलकर व युवराज सिंह ने भी ऐसा ही कहा था.
भारत ने लीग मैचों में बहुत ही अच्छा खेल दिखाया था और वह 17 मैचों में से 12 मैच जीतने और 72.2 विनिंग प्रतिशत के साथ अंक तालिका में नंबर-1 पर रही थी. दूसरी ओर, न्यूजीलैंड 11 मैचों में 7 जीतकर और 70 विनिंग प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर रही थी.
हालांकि, टेस्ट चैंपियनशिप फाइलनल में भारत के दिए 139 रनों के लक्ष्य को न्यूजीलैंड ने आसानी से हासिल कर लिया और वह इतिहास रचने में कामयाब रही.
कोहली ने मैच खत्म होने के बाद कहा, “एक मैच से दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टेस्ट टीम का फैसला करने के लिए पूरी तरह से सहमत नहीं हूं. अच्छी टीम कौन है, इसका फैसला 2 दिन बने दबाव से नहीं हो सकता. अगर टेस्ट सीरीज है, तो फिर तीन मैच के जरिए ही असल चैंपियन टीम को चुनना चाहिए. अगर आप इस मैच को देखें, तो आपको लगेगा कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फैसला करने के लिए 3 टेस्ट की सीरीज होनी चाहिए थी. मैं इसलिए नहीं कह रहा कि हम फाइनल नहीं जीते हैं.”
भारत रेड-बॉल संस्करण में एक कंसिस्टेंट टीम रही है और परिणाम स्पष्ट है क्योंकि वे सालाना आईसीसी अपडेट के बाद पिछले 5 सालों से आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 टीम रही है. लेकिन इंग्लैंड को टेस्ट सीरीज में 1-0 से हराने के साथ ही कीवी टीम ने नंबर-1 की बादशाहत हासिल कर ली थी.
कोहली ने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक कठिन पीस होना चाहिए और कुछ ऐसा जो निश्चित रूप से भविष्य में वास्तव में काम करने की आवश्यकता है. क्योंकि 3 टेस्ट की सीरीज में दोनों टीमों को गलतियों को सुधारने का मौका मिलता है. हमेशा हालात बदलते रहते हैं. कभी एक टीम का पलड़ा भारी होता है, तो कभी दूसरी का. इसके बाद ही बेस्ट टीम का फैसला होता है.
इसलिए मैं इस नतीजे को लेकर ज्यादा परेशान नहीं हूं.क्योंकि एक टेस्ट खेलने वाले देश के रूप में हमने सिर्फ पिछले डेढ़ साल में नहीं, बल्कि बीते 3-4 साल में अच्छा प्रदर्शन किया है. ऐसे में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल ही इकलौता पैमाना नहीं है, जो भारतीय टीम की काबिलियत और क्षमता को साबित कर सके.”