टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और महान ऑलराउंडर कपिल देव ने अपने एक बयान में कहा कि सचिन तेंदुलकर शतक बनाना तो जरुर जानते थे, लेकिन उस शतक को दोहरे या तिहरे शतक में बदलना उन्हें नहीं आया. मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने नाम पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा 100 शतक लगाने का विश्व रिकॉर्ड दर्ज है.
एकदिवसीय में सचिन के बल्ले से 49 और टेस्ट फॉर्मेट में 51 शतक आये. बल्लेबाजी का शायद ही कोई ऐसा रिकॉर्ड रहा होगा, जिस पर सचिन का नाम ना लिखा हो. 24 सालों तक भारत के लिए खेलने वाले सचिन तेंदुलकर ने अपने पूरे करियर में जमकर रनों की बारिश की. 100 शतकों के अलावा उनके नाम पर वनडे और टेस्ट में सबसे अधिक रन बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है.
वनडे फॉर्मेट में सचिन ने 463 मैच खेले और 44.8 की औसत से 18426 रन बनाने में सफल हुए, जबकि 200 टेस्ट मैचों में उनके बल्ले से 53.8 की औसत के साथ 15921 रन देखने को मिले. सचिन ने वनडे में एक और टेस्ट में छह दोहरे शतक जमाए. बताते चले, कि एकदिवसीय क्रिकेट में पहला दोहरा शतक लगाने का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर के नाम पर ही दर्ज हैं.
कपिल देव ने कहा कि ‘’सचिन तेंदुलकर शतक बनाना जानते थे, लेकिन वह उन्हें दोहरे शतक और तिहरे शतक में बदलने की कला में बहुत माहिर नहीं थे.’’ कपिल देव का मानना है कि सचिन तेंदुलकर कम से कम टेस्ट क्रिकेट में 10 और दोहरे शतक और कम से कम 3 तिहरे शतक जड़ सकते थे, क्योंकि उनमें वो क्षमता थी.
दरअसल, सचिन ने 200 टेस्ट मैच खेले और सिर्फ छह ही दोहरे शतक जड़ सके, जबकि तिहरे शतक के मामले में उनका खाना रिक्त ही रहा. टेस्ट क्रिकेट में सर डॉन ब्रैडमैन के नाम पर 12 दोहरे शतक लगाने का रिकॉर्ड दर्ज है.
कपिल देव ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर और महिला क्रिकेट टीम के वर्तमान कोच डब्ल्यूवी रमन के साथ लाइव चैट करते हुए कहा, “सचिन में इतनी प्रतिभा थी कि मैंने कभी किसी में ऐसी प्रतिभा नहीं देखी थी. उन्हें पता था कि कैसे शतक बनाया जाएगा, लेकिन वह कभी भी एक क्रूर बल्लेबाज नहीं बन पाए. सचिन के पास क्रिकेट में सब कुछ था. उन्हें पता था कि कैसे शतक बनाया जा सकता है, लेकिन उन सैकड़ों को 200 और 300 में कैसे बदलना है, यह वे नहीं जानते थे. सचिन को तीन तिहरे शतक और 10 और दोहरे शतक बनाने चाहिए थे, क्योंकि वह तेज गेंदबाजों और स्पिनरों को हर ओवर में कम से कम एक चौका या छक्का तो मार सकते थे.’’
सचिन के कम संख्या में दोहरे शतक के पीछे के कारणों को बताते हुए कपिल देव ने कहा है कि उनका ये नहीं कर पाने का कारण मुंबई की जड़ों से जुड़ा है. सचिन कपिल के साथ खेले भी हैं और कपिल ने सचिन को कोचिंग भी दी है.
कपिल ने कहा, “जब वह मुंबई से था, तब उनकी मानसिकता थी कि जब आप शतक बनाते हैं तो एक लाइन बनाते हैं और फिर से शून्य से शुरू करते हैं. और यह वह जगह है जहां मैंने कहा कि नहीं आप इतने निर्दयी क्रिकेटर हैं, तो गेंदबाजों को आपसे डरना चाहिए. सचिन की प्रतिभा सबसे अलग थी.” कपिल ने बताया कि एक शतक लगाने बाद वह सिंगल लेते थे और निर्मम हो जाते थे. उनको ऐसा नहीं करना चाहिए था, बल्कि वीरेंद्र सहवाग की तरह शतक के बाद ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करनी चाहिए थी, जिससे कि वे बड़ा स्कोर खड़ा कर सकें.
Written By: अखिल गुप्ता