क्रिकेट

यदि पहले होता डीआरएस, तो अनिल कुंबले का करियर 1000 विकेट के साथ होता खत्म : गौतम गंभीर

टीम इंडिया के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर का कहना है कि यदि डिसीजन रिव्यू सिस्टम पहले होता, तो दिग्गज अनिल कुंबले के करियर का अंत 1000 विकेट के साथ होता. कुंबले ने भारत के लिए टेस्ट में सबसे अधिक 619 विकेट लेते हुए करियर का अंत किया था.

नरेंद्र मोदी स्टेडियम में स्पिन फ्रेंडली विकेट को देखकर पूर्व भारतीय दिग्गज युवराज सिंह ने इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच में अहमदाबाद की पिच पर सवालिया निशान खड़े किए थे. एक ट्वीट के जरिए युवी ने कहा था कि अगर पहले के समय में ऐसी पिचों का इस्तेमाल किया जाता, तो अनिल कुंबले ने 1000 विकेट और हरभजन ने 800 विकेट के साथ अपने करियर खत्म किया होता.

गौतम गंभीर भी युवराज की बातों से सहमत हैं. मगर वह पिच को लेकर नहीं बल्कि डीआरएस को लेकर, क्योंकि जिस वक्त अनिल कुंबले गेंदबाजी करते थे, तब डिसीजन रिव्यू सिस्टम नहीं था, अंपायर ने जो फैसला लिया, बस उसी पर गेंदबाजों को विकेट मिल सकता था.

डीआरएस को पहली बार 2008 में भारत और श्रीलंका के बीच खेले गए मुकाबले में लाया गया था. हालांकि, अनिल कुंबले ने अपना आखिरी टेस्ट अक्टूबर 2008 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेला.

अनिल कुंबले ने अपनी स्पिन गेंदबाजी से बड़े-बड़े बल्लेबाजों का विकेट निकाला. वह अपनी स्टंप पर सटीक गेंदबाजी के लिए काफी मशहूर थे और अपने करियर में उन्होंने ज्यादातर विकेट एलबीडब्ल्यू के माध्यम से लिए. कुंबले ने अपने टेस्ट करियर में 13 टेस्ट मैचों में 619 विकेट चटकाए. इसमें 156 विकेट एलबीडब्ल्यू के जरिए हासिल किए, जिसमें से 136 दाएं हाथ के बल्लेबाज थे और 20 बाएं हाथ के बल्लेबाज.

उन दिनों अनिल कुंबले के कई विकेट तो अंपायरिंग में हुई गड़बड़ियों की भेंट चढ़ गए. दूसरी ओर, गंभीर को लगता है कि यदि हरभजन सिंह के खेल की शुरुआत से ही डीआरएस होता तो वह 417 नहीं बल्कि 700 टेस्ट विकेटों के साथ करियर समाप्त करते.

“हां, आजकल के विकेट अलग हैं लेकिन डीआरएस भी इसमें बड़ी भूमिका अदा करता है. अगर डीआरएस तब होता जब अनिल कुंबले, हरभजन सिंह गेंदबाजी कर रहे थे तो कुंबले 1000 विकेट तक जाते और हरभजन भी 700 के आसपास विकेट लेते क्योंकि डीआरएस बड़ी भूमिका निभाता है, खासकर कि भारत में जहां अंदरूनी किनारा या बैट-पैड या ऐसी चीजें होती हैं.”

गौतम गंभीर ने युवराज सिंह की बात से सहमति जताई. साथ ही उन्होंने रविचंद्रन अश्विन पर आने वाले अतिरिक्त दबाव का भी जिक्र किया, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसे विकेट पर अश्विन को खुद को साबित करने का दबाव बढ़ जाता है.

मैं युवराज सिंह से सहमत हूं, लेकिन इस दृष्टिकोण से कि अगर वे इस प्रकार की पिचों पर खेलते तो विकेटों की झड़ी लगा देते. शायद ऐसा नहीं होता. क्योंकि आप देखें विकेट सभी के लिए समान है. रविचंद्रन अश्विन ने इस तरह के विकेटों को बनाने के लिए नहीं कहा है. टीम प्रबंधन ऐसी मांग करता है. जब आप इस तरह के विकेट तैयार करते हैं तो अश्विन पर खुद को साबित करने का और अधिक दबाव होता है.”

दिग्गज ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन अब तक सीरीज में सबसे अधिक 15.71 के औसत से 24 विकेट ले चुके हैं. पिंक बॉल टेस्ट में अश्विन ने जोफा आर्चर का विकेट लेने के साथ अपने 400 टेस्ट विकेट पूरे कर लिए. दूसरी ओर, अनिल कुंबले और हरभजन सिंह भारत के सर्वश्रेष्ठ स्पिन गेंदबाजों में हमेशा गिने जाएंगे.

लेखक के बारे में


द्वारा लिखित Website Admin

Related Post
शेयर
द्वारा प्रकाशित
Website Admin

हाल के पोस्ट

कैंसर का इलाज डिस्प्रिन से नहीं हो सकता – बासित अली ने विराट कोहली और रोहित शर्मा का समर्थन किया

पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर बासित अली ने विराट कोहली और रोहित शर्मा की अनुभवी जोड़ी को… अधिक पढ़ें

November 6, 2024

वह वीरू जैसा बल्लेबाज है – आकाश चोपड़ा ने IND vs NZ 2024 तीसरे टेस्ट में ऋषभ पंत की पारी की सराहना की

पूर्व भारतीय टेस्ट ओपनर आकाश चोपड़ा ने ऋषभ पंत की तुलना अपने पूर्व साथी वीरेंद्र… अधिक पढ़ें

November 4, 2024

आईपीएल 2025: आरसीबी थिंक टैंक ने मोहम्मद सिराज को रिटेन न करने के ‘बड़े फैसले’ के बारे में बताया

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के थिंक टैंक ने खुलासा किया है कि उन्होंने आईपीएल 2025 की… अधिक पढ़ें

November 4, 2024